Tuesday 14 July 2015

वशीकरण कार्य प्रणाली ! How Vashikaran works?

                 मेरा  इस पोस्ट को आप तक लाने का एक मात्र उद्देश इतना है  कि आपको इस बारे में जानकारी दे सकूँ ! मेरे पास कई नौ जवान के मैसेज और कॉल्स आते है जो प्रेम में  किसी को अपने वश में करवाने की जानकारी एकत्र करना चाहते है और किसी तांत्रिक के पास जाकर ये क्रिया करवाना चाहते है! हमारे तंत्र शास्त्रों में ये विद्या किसी विशेष कार्य के लिए हमारे ऋषि मुनियोँ  ने दी थी लेकिन आज इनका दुरपयोग किया जाता है ! और तांत्रिक लोग मासूम लोगों से इस बहाने ढेर सारा पैसा ठग लेते है लेकिन उनका प्रयोजन तब भी सफल नही होता है क्योंकि ये विद्या परमात्मा की आज्ञा के बिना कार्य नही करती ये कार्य तभी करती है जब आपको प्रयोजन नीति पूर्ण हो !

                                            :वशीकरण :::::::सूत्र-सिद्धांत-कार्यप्रणाली:
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................वशीकरण की कार्यप्रणाली तरंगों पर आधारित है ,भावगत तरंगों के साथ मानसिक तरंगों का एक निश्चित लक्ष्य पर प्रक्षेपण कर उसे अपने प्रति वशीभूत कर लेना ही वशीकरण है !  जिस प्रकार रेडियो तरंगो से कार्य करता है उन तरंगो को पाकर बजता है , तंत्र भी ठीक उसी कार्य करता है जैसे गाना सैकड़ो मील दूर बज स्टीडीओ में बज रहा होता हैऔर सुनाइए हमे देता है! वो तरंगे पहले आकाश में सेट लाइट में जाती है फिर वापिस रेडियो में आती है! देवोपासना में इसकी प्रक्रिया थोड़ी भिन्न होती है ,वहा सम्बंधित बिखरी उर्जा का आकर्षण ,एकत्रीकरण कर वाशिभुतन होता है, व्यक्ति विशेष के लिए वशीकरण एक लक्ष्य पर अपने मनोभावो के अनुसार प्रबल मानसिक शक्ति से तरंगों का प्रक्षेपण कर लक्षित व्यक्ति के अवचेतन मन और मष्तिष्क को प्रभावित करना होता है, इसमें तान्त्रिकीय वस्तुए उर्जा बढाने वाली, वशीकरण की तीब्रता बढाने वाली और समय में शीघ्रता लाने वाली सिद्ध होती है, जबकि लक्ष्य के कपडे, बाल, चित्र आदि लक्ष्य तक शीघ्र और सुगम तरीके से पहुचने में सहायक होते है, लक्ष्य द्वारा प्रयोग की हुई वस्तुए, बाल आदि उसके शरीर में अन्य तरंगों के प्रवेश का माध्यम बन जाते है, इन वस्तुओ के साथ तंत्रिकीय वस्तुओ, साधक की मानसिक तरंगे ,भावनात्मक तरंगे संयुक्त हो व्यक्ति को लक्ष्य कर जाती है, किन्तु मूल शक्ति प्रयोगकर्ता की मानसिक शक्ति ही होती है!
...........यदि किसी के वस्त्र या बाल के साथ प्रबल मानसिक शक्ति से तांत्रिक वस्तुओ का सम्मिश्रण कर विशिष्ट तांत्रिक क्रियाए की जाती है तो उत्पन्न उर्जा तरंगों में परिवर्तित हो मानसिक शक्ति और भावो के प्रभाव से लक्षित व्यक्ति को प्रभावित करती है, तरंगों का ग्रहणकर्ता लक्षित होता है क्योकि इन तरंगों के साथ लक्षित के बाल या वस्त्र [गन्धादि]की तरंगे संयुक्त होती है, इनके साथ प्रयोगकर्ता की मानसिक शक्ति, प्रयोग की गयी वास्तु और प्रक्रिया की ऊर्जा, भावनात्मक आदेश संयुक्त होता है, फलतः इन तरंगों के ग्रहण होने पर लक्षित व्यक्ति के स्वभाव, विचार, पसंद-नापसंद में परिवर्तन होने लगते है,उसमे शारीरिक रासायनिक परिवर्तन होने से विशिष्ट गंधों, हार्मोनो,फेरोमोंस के प्रति संवेदनशीलता परिवर्तित हो जाती है और वह प्रयोगकर्ता के गंध, गुण ,स्वभाव की और आकृष्ट होने लगता है, उसे प्रयोगकर्ता के साथ आनंद और सुख महसूस होता है अतः वह उसके अनुकूल आचरण करने लगता है, प्रयोगकर्ता का साथ, उसके विचार उसे अच्छे लगने लगते है, उसका साथ रहना उसे सुखकारक, आनंददायक लगता है, उसके विचार बार बार आते है, इस सुख को पाने के लिए वह उसकी बात मानने लगता है और वशीभूत रहता है !
..............वशीकरण की शक्ति के भेदानुसार यदि उग्र शक्ति के मंत्र आदि उपयोग किये जाते है तो लक्षित व्यक्ति पर भय कारक प्रभाव पड़ता है, फलतः उसे साथ तो अच्छा लगता है प्रयोगकर्ता का पर वह प्रयोगकर्ता से डरता है और किसी भी बात के लिए इनकार नहीं कर पाता, पूर्ण समर्पण कर देता है, कही विशिष्ट परिस्थितियों में वशीकरण का प्रयोग उपयोगी भले हो किन्तु है तो यह आभिचारिक कर्म ही, जिसके परिणाम उद्देश्य गलत होने पर भुगतने ही होते है!


……………वशीकरण करने और करवाने वालो को इसका परिणाम भुगतना पड़ता है आज हमारे समाज में तांत्रिक लोग इस विद्या का गलत उपयोग कर रहे है! और उनका अंजाम हमारे सामने होता है वो लोग कभी उन्नति नही कर पाते वो बिना सही या गलत विचारे सिर्फ पैसा कमाने के लिए ये करते है!